कविता

पुलवामा

शुभम श्रीवास्तव

फ़रवरी २०, २०१९

कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले से देशवासियों के दिलों को गहरा आघात पहुँचा है। जहाँ एक ओर प्यार का त्योहार मनाया जा रहा था, वहीं कुछ नफ़रत के नुमाइंदों ने अपनी भड़ास निकाल कर इसे दाग़दार कर दिया। तनाव की इस स्थिति में देशवासी एक दूसरे को सांत्वना देते हुए नज़र आ रहे हैं, परंतु दिल के ज़ख़्म से नज़र हटती ही नहीं है। पेश है एक साधारण देशवासी के दिल से निकले श्रद्धांजलि के कुछ शब्द, उन वीरों के लिए जिन्होंने अपने देश-प्रेम की मिसाल क़ायम करते हुए पुलवामा में शहादत हासिल की।

दर्द उठा अकस्मात् एक दिल में,
ख़बर ये आयी जब वहाँ से
यहाँ क्यूपिड का जादू छाया,
वहाँ बिछ गयी थीं लाशें
प्रेम दिवस पर बैर-भाव ये,
छाया जाने कहाँ से?
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

प्रेम-राग थे गुनगुना रहे सब
रूबरू हो दिल-ओ-जान के,
वहाँ मिलने गए थे गुदड़ी  के लाल
धरा को महबूबा मान के
इधर गूंजा एक प्यार का नग़मा,
उधर धमाकों आवाज़ें
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

रंग इश्क़ का लाल, इस साल
इस क़दर कुछ छाया,
इस बार का वैलेंटाइन सबसे ज़्यादा,
कश्मीर की धरती ने मनाया
कितने आशिक़ रंग गये इसको,
अपने लहू की लालिमा से,
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

आख़िर इन दिलवालों की भी तो,
कहीं कोई दिलरुबा होगी
इनकी भी कोई प्रेम-कहानी,
कोई मोहब्बत की दसतां होगी
सपने चकनाचूर हुए होंगे,
इनकी माशूक़ा के
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

दिल की बातें सब करते हैं पर,
वो कह के भी क्या जाते
हम प्रेमिका से मिलने थे गए,
वो कश्मीर की धरा से
वहाँ वतन से आख़िरी सलाम हुआ,
यहाँ इज़हार-ए-इश्क़ दिलरुबा से
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

प्यार में जान देने की बात इस दिन,
अक्सर आशिक़ किया करते हैं
पर इस बार दिखी जो शिद्दत मोहब्बत में,
बयाँ नहीं कर सकते हैं
देश पे आने वाली मुसीबत,
टल गयी इनकी बला से
कितने दिल यहाँ जुड़े, वहाँ
टूटी कितनों की साँसें।

विचलित मन की भावनाएँ हैं ये,
हर हिंदुस्तानी को महसूस हो रही है
किसी की माँ, माशूक़ा, पत्नी या बेटी,
उसकी याद में जो रो रही है
एक सलाम है ये कविता उनको,
जो चले गये उस दिन इस जहाँ से
सदा रहेंगी ज़िंदा हर दिल में,
टूटी उस दिन जो साँसें।

Pranay is not a reader but has inherited his love for poetry from his mother. He’s never stepped into a bookstore, but one can’t guess it through his writing. He deeply believes in love and has the ability to transform his feelings and emotions into melodious rhymes and beautiful illustrations. He works as a graphic designer at The Curious Reader.

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