कविता

किताब: एक हमसफ़र

प्रणय वास्तव

जुलाई ०५, २०१९

जीवन एक सफ़र है जिसमें बहुत-से दौर ऐसे भी आते हैं जब हमारे साथ कोई अपना नहीं होता, हम ख़ुद को अकेला और तनहा महसूस करने लगते हैं। किंतु जब हम एक किताब उठा के उसे पढ़ना शुरू करते हैं, तो कुछ समय में ही हम अपनी वास्तविक दुनिया को भूल, उस किताब की काल्पनिक दुनिया में चले जाते हैं। उस कहानी में हमारी दिलचस्पी और उत्सुकता बढ़ने लगती है, हमें उस काल्पनिक कथा पर विश्वास होने लगता है। कम शब्दों में कहें तो किताब ज़िंदगी के वीरान और बेरंग सफ़र को भी ख़ूबसूरत बना देती है। कैसे, आयिए जानते हैं, फिर एक बार, प्रणय की कलम से।

जब क़लम की गहराई दिल को, इस क़दर छू जाती है,

काले अक्षरों में क़ैद कहानी, सच्चाई-सी नज़र आती है।

किरदारों से जब एक अनकही, हमदर्दी हो जाती है,

किताब हर सफ़र में, हमसफ़र बन जाती है।

 

अकेलेपन में हमेशा तुम्हारे, एक दोस्त साथ होता है,

नाज़ुक काग़ज़ का हो कर भी, जज़्बातों का वज़न ढोता है।

पन्ने पलट-पलट के नज़रें, शब्दों से नैन लड़ाती हैं,

अक्षरों की परछाइयाँ तस्वीरें बन, ज़हन में उतर जाती हैं।

 

जब पढ़ के एक क़िस्सा किसी की, मनगढ़ंत कहानी का,

याद आने लगता है दौर, अपनी ही एक नादानी का।

बेवक़ूफ़ाना हरकतों पर अपनी, हँसी-सी आ जाती है,

दिल में एक हलचल-सी, गालों पर, हया की लाली छा जाती है।

 

एक कहानी पढ़ते-पढ़ते, सुध-बुध जब खो जाती है,

यादें पुरानी पढ़ कोई क़िस्सा, ताज़ा फिर हो जाती हैं।

जब हाथों में तुम्हारे हो के भी तुम्हें, आग़ोश में अपने ले जाती है,

किताब हर सफ़र में, हमसफ़र बन जाती है ।

Pranay is not a reader but has inherited his love for poetry from his mother. He’s never stepped into a bookstore, but one can’t guess it through his writing. He deeply believes in love and has the ability to transform his feelings and emotions into melodious rhymes and beautiful illustrations. He works as a graphic designer at The Curious Reader.

You can read his pieces here